संसार के अनेक पुस्तकालयों में दशमलव वर्गीकरण पद्धति ही प्राय:
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संसार के अनेक पुस्तकालयों में दशमलव वर्गीकरण पद्धति ही प्राय:
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संसार के अनेक पुस्तकालयों में दशमलव वर्गीकरण पद्धति ही प्राय: प्रचलित है।
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पुस्तकें: पुस्तकालय में लगभग 11000 पुस्तकें सार्वभौमिक दशमलव वर्गीकरण पध्दति के अनुसार व्यवस्थित हैं।
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इस समय दशमलव वर्गीकरण पद्धति, द्विबिंदु वर्गीकरण पद्धति, विस्तारशील वर्गीकरण पद्धति, लाइब्रेरी ऑव कांग्रेस वर्गीकरण, पद्धति, विषय वर्गीकरण पद्धति एवं वांङ् मय वर्गीकरण पद्धतियाँ विश्व में प्रचलित हैं।
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इस समय दशमलव वर्गीकरण पद्धति, द्विबिंदु वर्गीकरण पद्धति, विस्तारशील वर्गीकरण पद्धति, लाइब्रेरी ऑव कांग्रेस वर्गीकरण, पद्धति, विषय वर्गीकरण पद्धति एवं वांङ् मय वर्गीकरण पद्धतियाँ विश्व में प्रचलित हैं।
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पुस् तकालय में पुस् तकों का वर्गीकरण दशमलव वर्गीकरण (22 वां संस् करण) तथा सूचीकरण (ऐंग्लो-अमेरिकन केटेलॉगिंग रूल् स-II) के अनुसार किया जाता है ।
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इस समय दशमलव वर्गीकरण पद्धति, द्विबिंदु वर्गीकरण पद्धति, विस्तारशील वर्गीकरण पद्धति, लाइब्रेरी ऑव कांग्रेस वर्गीकरण, पद्धति, विषय वर्गीकरण पद्धति एवं वांङ् मय वर्गीकरण पद्धतियाँ विश्व में प्रचलित हैं।
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यह डॉ. रंगनाथ थे जिन्होंने वर्गीकरण की एक नवीन किस्म-‘स्वतन्त्रन्मुख, विश्लेषणात्मक-संश्लेषणीय वर्गीकरण' का निर्माण किया, जो न केवल फलक व्यवस्थापन (श्हेल्ङ् आर्र-~न्गेमेन्ट्) के लिए ही अपितु अनुक्रमणिका तैयार करने, आदि के लिए भी मुक्त-कंठ रूप से स्वीकार की गयी. वर्गीकरण के लिए ‘स्वतन्त्र-मुख, विश्लेषणात्मक, संश्लेषणीय योजना' अन्य योजनाएँ जैसे-प्राय: गणनात्मक (आल्मोस्ट् ऐनुमेरटिवे) उदाहरणत: ड्यूई दशमलव वर्गीकरण, प्राय: फलकित (आल्मोस्ट् ञचेटेड्) उदाहरणत: सर्वव्यापक दशमलव वर्गीकरण और दृढ़ फलकित (षिगिड्ल्य् ञचेटेड्) उदाहरणत: द्विबिन्दु-~वर्गीकरण का प्रथम व द्वितीय रूपान्तर, की तुलना में अत्यधिक आधुनिकता प्रदान करती है.